नई दिल्ली। रंजन पाई की मणिपाल हॉस्पिटल्स, टीपीजी कैपिटल और टेमासेक के साथ मिलकर ग्लोबल हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड को खरीदने के करीब पहुंच गई है, जो मेदांता हॉस्पिटल की मालिक है। यह सौदा 5,800-6,000 करोड़ रुपये में हो सकता है।पिछले हफ्ते मेदांता की बोर्ड मीटिंग में इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी, लेकिन फाइल डिसिजन नहीं लिया गया था। हालांकि, अगले हफ्ते की शुरुआत में दोनों पक्षों के बीच तय समय में ड्यू डिलिजेंस के लिए एक्सक्लूसिव अग्रीमेंट हो सकता है। कुछ सूत्रों ने बताया कि अग्रीमेंट इस वीकेंड पर भी हो सकता है। मेदांता के संस्थापक जाने-माने हार्ट सर्जन डॉ. नरेश त्रेहन डील के बाद भी इसमें कुछ हिस्सेदारी बनाए रख सकते हैं। हालांकि, अभी फाइनल डीटेल्स पर काम होना है। उनके परिवार के सदस्यों और सह-संस्थापक सुनील सचदेवा के पास कंपनी के 55 पर्सेंट शेयर हैं। मणिपाल ने अभी जो प्रपोजल दिया है, उसके मुताबिक कार्लाइल ग्रुप मेदांता से पूरी तरह बाहर हो जाएगा। उसने पांच साल पहले इसमें निवेश किया था। कार्लाइल ने अमेरिका के एवेन्यू कैपिटल से 2013 में 60 करोड़ डॉलर में 27 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदी थी। इस डील के तहत टीपीजी और टेमासेक, मणिपाल में और निवेश करेंगे। इससे कंपनी में उनकी हिस्सेदारी बढ़ेगी। टीपीजी ने मणिपाल एजुकेशन ऐंड मेडिकल ग्रुप में 2015 में 900 करोड़ रुपये का निवेश किया था। उसके पास कंपनी के 22 पर्सेंट शेयर हैं। वहीं, सिंगापुर सरकार की कंपनी टेमासेक के पास मेदांता और मणिपाल दोनों में 18 पर्सेंट स्टेक है। मेदांता की स्थापना 2009 में हुई थी। यह गुरुग्राम, लखनऊ, इंदौर, रांची और श्री गंगानगर में सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और क्लिनिक्स चलाती है। एक सूत्र ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया, ‘कार्लाइल मेदांता से अच्छी कीमत पर निकलना चाहती थी। उसने पिछले हफ्ते मणिपाल के प्रस्ताव पर हामी भरी थी। ऐसा लगता है कि मणिपाल-मेदांता डील जल्द हो सकती है। इसकी टर्म शीट पर 8-10 दिनों में दस्तखत होने की उम्मीद है। त्रेहन और पाई ने इस खबर पर कमेंट करने से मना कर दिया, जबकि टीपीजी और कार्लाइल के प्रवक्ताओं को ईमेल से पूछे गए सवालों का जवाब खबर लिखे जाने तक नहीं मिला था। मेदांता को स्टेंट जैसी मेडिकल डिवाइस पर प्राइस कंट्रोल और नोटबंदी का बुरा असर हुआ है। इसकी होल्डिंग कंपनी ग्लोबल हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड की आमदनी वित्त वर्ष 2017 में 1,278 करोड़ रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2016 के 1,384 करोड़ से कम थी। वित्त वर्ष 2017 में कंपनी का मुनाफा गिरकर 54 करोड़ रह गया था, जो 2016 में 175 करोड़ था। ग्रुप पर वित्त वर्ष 2017 के अंत तक 182 करोड़ का कर्ज था।
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